गलत विधि से पकाई हुई दाल खाने पर बढ़ जायेगा यूरिक एसिड | Destroy Uric acid a hidden toxic in dal

दाल हम सभी को अत्यंत प्रिय है। इसका सेवन करने से हमें वो सारी पौष्टिक तत्व प्राप्त होते है जो हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विटामिन, खनिज, फाइबर के संग यह प्रोटीन का भी मुख्य स्रोत है। 

जानते हैं गलत विधि से पकाई गयी दाल के सेवन से नुकसान



हमें हमारे शरीर के वजन के अनुपात में प्रतिदिन कम से कम एक प्रतिशत की मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसका मतलब यह है कि अगर मान लिया जाय कि किसी का शारीरिक वजन 60 केजी है तो उस व्यक्ति को लगभग 60 ग्राम की मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता प्रतिदिन है। यह प्रोटीन की पूर्ति दाल के सेवन से हमें प्राप्त हो जाती है।

परन्तु यह दाल को अगर गलत विधि से तैयार किया जाय तो वही दाल फायदे के साथ साथ शरीर को नुकसान भी देने लगती है। 

दाल में नुकसान दायक वस्तु

दाल की उत्पादन प्रक्रिया में कीटनाशक रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है जिसका प्रभाव कम या ज्यादा उसपर रह जाता है। इसकी भंडारण पद्धति में भी कीटनाशक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। यह सारे कीटनाशक अम्लीय रसायन है एवं शरीर के लिए हानिकारक है।

दाल में प्रोटीन तत्व की अधिकता है जिसमे प्यूरीन (purine) मौजूद है। यह प्यूरीन में नाइट्रोजन रहता है जो खाना पकते वक्त अथवा सेवन के पश्चात पचते वक्त गरम होकर रासयनिक विक्रिया आरंभ कर देता है जिससे यूरिक एसिड का जन्म होता है।

जानते हैं गलत विधि से पकाई गयी दाल के सेवन से नुकसान।

यह दाल का सेवन करने से शरीर को कई प्रकार की दिक्कतें एवं परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे जोड़ों में दर्द, गठिया दर्द, रीढ़ की हड्डियों सख्तपन होना, कमर की हड्डियों में दर्द, गर्दन में दर्द, किडनी में पथरी, खून की नसें सख्त हो जाना जिससे उच्च रक्त चाप की बीमारी, दिल की बीमारी मुख्य रूप से होने का खतरा बना रहता है।

पौष्टिक गुणों का लाभ लेने के लिए दाल को इस तरह से धोएं।

किसी भी प्रकार की दाल, फलियां अथवा बीज को पकाने के लिए कम से कम छह से आठ घण्टे तक शुद्ध पानी में भिगोंकर रखना है। इसके पश्चात दाल को कई बार पानी बदलकर धोना चाहिए जिससे झाग आना बंद हो जाय। खाने का मीठा सोडा मिले हुए पानी से दाल को धोने से कीटनाशक अम्लीय पदार्थ बेअसर हो जायेंगे।

पकाने की विधि

पकाने के लिए मिट्टी के बर्तन अथवा स्टील के बर्तन को प्रधानता दें। बर्तन में पानी डालकर पूरी तरह से 100℃ में उबालें। उसके पश्चात ही दाल को पकाने के लिए पानी में डालें। बर्तन को खुला रखें एवं उसे ढके नहीं। यह करने से हानिकारक नाइट्रोजन, यूरिक एसिड भाँप के द्वारा निकल जाते हैं। शेष बची मात्रा बहुत कम हो जाती है। ऊपर में झाग आने पर निकल कर अलग कर दें। यह विधि से दाल को पकाने पर नुकसान दायक तत्व करीब करीब समाप्त हो जायेगा।

इन बर्तनों में दाल न पकायें

प्रेशर कुकर अथवा कोई भी बंद बर्तन में दाल अथवा अन्य फली या बीज पकाने से बचें।

बिना भिगोई दाल को पकाने से अथवा सेवन करने से बचें।

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