शिमला मिर्च को हम सब कैप्सिकम के नाम से भी जानते हैं। भारत में कैप्सिकम का नाम शिमला मिर्च कब और किस तरह पढ़ गया इसका कोई सटीक विवरण नहीं मिलता। असल में शिमला मिर्च अका कैप्सिकम उत्तर और दक्षिण अमेरिका प्रांत में उगाई जाने वाली सब्ज़ी है। मेक्सिको देश में इसकी उपज होती है।

इतिहास के पन्नों से पता चलता है कि पोर्तुगीज लोगों के माध्यम से पहले यह एशिया महादेश में आई, फिर उसके बाद भारत देश में पोर्तुगीज के शासन काल में कैप्सिकम का प्रवेश हुआ। अंग्रेजों के शासन काल में इसकी खेती को अधिक मात्रा में किया गया। पूरे भारत में सिर्फ शिमला (हिमाचल प्रदेश) में इसकी उपज अधिक मात्रा में होने लगी। कैप्सिकम की खेती के लिए शिमला की आबोहवा और ज़मीन अनुकूल मिलने के कारण उत्पादन में इज़ाफ़ा हुआ। यह एक कारण कहा जा सकता है जिस से आम लोगों ने कैप्सिकम को शिमला में उगने वाली मिर्च या शिमला मिर्च कहने लगे।
आइए अब जानते हैं शिमला मिर्च से जुड़ी कुछ खास बातें |
- शिमला मिर्च के अंग्रेज़ी नाम है कैप्सिकम, पीपर, स्वीट पीपर या बेल पीपर।
- शिमला मिर्च हरी, लाल, पीली, नारंगी, बैंगनी और सफेद रंगों में पाए जाते हैं।
- यह सब्ज़ीयों की तरह उपयोग की जाने वाली फल की प्रजाति के अंतर्भुक्त एक प्रकार की बेरी है।
- पूरे विश्व में चीन में इसका उत्पादन अधिक होता है।
- हरी शिमला मिर्च पकने पर लाल हो जाती है। परंतु एक प्रजाति ऐसी भी है जो पकने पर भी हरे रंग की ही रहती है।
- विश्व भर में अधिकतर यह सब्ज़ी को व्यंजनों के ऊपर में डालकर या सजाकर परोसा जाता है। उदाहरण, पिज़्ज़ा की टॉपिंग, सलाद इत्यादि।
- इसमें विटामिन सी एवं विटामिन बी-6 अधिक मात्रा में मौजूद है।
- शिमला मिर्च में उज्ज्वल रंग का कारण है बीटा कैरोटीन।
- शिमला मिर्च के सेवन से त्वचा स्वस्थ रहती है।
- शिमला मिर्च लो-कैलोरी खाद्य वस्तु होने के कारण यह शरीर के लिए लाभकारी है। शरीर के वजन घटाने में सहायक है।
- पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करने में सहायक है।
- भरपूर मात्रा में विटामिन सी होने के कारण इसके सेवन से सर्दी जुकाम या अन्य बीमारियों से बचने की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
- यह सूजनरोधी होने के कारण इसके सेवन से शरीर में, जोड़ों में होने वाले दर्द को कम करने में सहायक है।
by Samaresh