कद्दु, लगभग पूरे विश्व भर में उगाया जाता है। इसे हम सब्ज़ी की तरह सेवन करते हैं, पर वनस्पति विज्ञान के अनुसार यह एक फल है। पूरे विश्व में इसके उत्पादन में भारत देश दूसरे स्थान पर हैं। चीन में इसका उत्पादन सबसे अधिक होता है।

आइए जानते हैं कद्दु से जुड़ी कुछ बातें,
- संस्कृत में इसे कूष्माण्ड या पीतकूष्माण्ड, काशीफल कहा जाता है।
- भारत के हर राज्य में इसका एक अलग नाम है। इसके कुछ प्रचलित नाम है कद्दु, कुम्हड़ा, कोहड़ा, भोपला इत्यादि। अंग्रेज़ी में इसे पम्पकिन, रेड गॉर्ड इत्यादि नामकरण से जाना जाता है।
- वानस्पतिक नाम है कुकुरबिटा पेपो।
- कद्दु के नारंगी रंग का कारण है बीटा कैरोटिनॉइड। बीटा कैरोटिनॉइड विटामिन ए के अंतर्भुक्त है जो कद्दू में अधिक मात्रा में उपलब्ध है।
- कद्दू में 92% पानी की मात्रा है। 100gm कद्दू से मात्र 26 Kcal ऊर्जा प्राप्त होती है। इसलिए शरीर का वजन घटाने के लिए इसका सेवन करना उत्तम है।
- इसके हर अंग प्रत्यंग खाद्य योग्य है जैसे कि, इसके छिलके, बीज, साग पत्ते, डंडी।
- इसके सेवन से कब्ज से होने वाली तकलीफों से छुटकारा मिलती है।
- विटामिन ए होने के कारण आंखों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
- इसके बीज में जिंक, मैग्नीशियम का स्रोत है। बीज के सेवन से रक्तचाप की पीड़ा से राहत मिलती है।
- दिल की स्वास्थ्य के लिए कद्दू बीज का सेवन करना लाभकारी है।
- कद्दु या इसके बीज के सेवन से मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को राहत मिलती है।
- कद्दू बीज के तेल में ओलिक एसिड मौजूद है। यह ओलिक एसिड दिल और दिमाग को तंदुरुस्ती प्रदान करता है। शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है।
- कद्दु के बीज को भोजन तैयार करते समय पीस कर रसा में उपयोग किया जाता है। चार मगज़ के बीजों में कद्दु के बीज भी शामिल है।
- कद्दू से साधारण व्यंजनों के अलावा सॉस, सूप, पाई तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है।
- अमेरिका में हेलोवीन उत्सव में कद्दू से खास सजावट की जाती है जिसे विश्व भर में प्रसिद्धि प्राप्त है।
By Samaresh