भोजन में तीखापन न होने पर स्वाद का मज़ा नही आता है। संतुलित स्वाद होते हुए भी ऐसा लगता है कि जैसे कहीं पर कुछ कमी रह गयी हो और स्वाद फीका लगने लगता है। हम में से ऐसे कई व्यक्ति हैं जिन्हें तिखी मिर्ची का स्वाद अति प्रिय होता है। खाद्य व्यंजनों में संतुलित स्वाद होते हुए भी वे अलग से मिर्चियों का सेवन करते है।

पर क्या आपको पता है कि यह तेज़ तीखा स्वाद क्या है? तीखे स्वाद की जलन से जीभ को तुरंत मुक्त करने लिए क्या करना चाहिए? या फिर जाने अनजाने में कोई भी खाद्य व्यंजन, मात्रा से अधिक तीखा हो जाय तो क्या करना चाहिए? जी, यह सबका इलाज है जो बिल्कुल सरल है एवं वैज्ञानिक तरीका है जो हर दिन के जीवन में बहुत काम आता है।
जानें तीखा स्वाद क्या है।
कोई भी खाद्य वस्तु को सेवन करने से हमारे जीभ को उसके रस से जो अनुभव होता है वो स्वाद है।
स्वाद के छह प्रकार है जैसे मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसाय। आयुर्वेद शास्त्र में यह स्वाद को ‘रस’ कहा जाता है। इस तरह तीखा एक स्वाद है अथवा रस है जो हरी मिर्च, कालिमिरी के द्वारा हमें प्राप्त होता है।
जानिए तीखे स्वाद से जलन का कारण।
मिर्च में ‘कैप्सेसिन’ नामक एक जैविक रासायनिक पदार्थ मौजूद है जो तीखे स्वाद का मुख्य कारक है। यह कैप्सेसिन में कई अन्य प्रकार के जैविक रासायनिक पदार्थ मिल जाने पर कैपसेसिनोइड्स कहलाता है।
मिर्च के सेवन करने से यह जैविक रासायनिक पदार्थ जीभ में दर्द अनुभव करने वाली तंतुयों को उत्तेजित कर देता है जिससे हमारे मुँह में जलन का अनुभव होने लगता है।
पानी पीने से कम नहीं होगा तीखे स्वाद की जलन।
मिर्च में उपलब्ध कैप्सेसिन, जल में घुलनशील न होने से यह दोनों एक दूसरे के विकर्षक हैं। इसलिए पानी पीने से अथवा पानी के माद्यम से मिर्च के जलन या तीखा स्वाद को कम नहीं किया जा सकता।
यह करने से तुरंत कम होगी मिर्च की जलन
मिर्च में उपलब्ध कैप्सेसिन ही तीखेपन का कारण है।
कैप्सेसिन से हो रहे तीखेपन को कम करने के लिए तुरंत दूध का सेवन करना उचित है। दूध में उपलब्ध केसिन में कैप्सेसिन घुलनशील है जिससे मिलकर पदार्थ पतला होने लगता है एवं मुँह में चल रहा तीखी जलन बंद हो जाती है।
सब्ज़ी व्यंजनों में अत्यधिक तीखे स्वाद को ऐसे कम करें।
रासायनिक शास्त्र अनुसार यह कैप्सेसिन तेल, घी, अल्कोहोल में घुलनशील रासायनिक पदार्थ है।
परन्तु सब्ज़ी व्यंजनों में तेल, घी भले ही उपयोग करें परंतु अल्कोहोल का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
इसलिए तीखेपन को कम करने के लिए दूध, दही, सीमित मात्रा में घी का उपयोग करने से अतिरिक्त तीखा स्वाद कम हो जायगा।
तीखा स्वाद को कम करने के अन्य उपाय
पकी हुई सब्ज़ी व्यंजनों में अतिरिक्त तीखे स्वाद को कम करने के लिए सब्ज़ी के प्रकार अनुसार शक्कर, गुड़, इमली, निम्बू का रस, आलू, शकरकंद, कुम्हड़ा, लौकी, नारियल, फ्रेश क्रीम, मावा, पनीर, छेना का पानी, छाछ, कच्चा पपीता, टमाटर, प्याज़, अचार का तेल मिलाना है। बतायी हुई सामग्रियाँ पकी हुई सब्ज़ी के स्वाद को संतुलित रखते हुए तीखेपन को घटाने में सक्षम है।
परन्तु इसका इस्तेमाल कुशलता पूर्वक करना है।
मिर्ची काटने पर उँगली में जलन को ऐसे कम करें।
मिर्च को काटने के पश्चात जब उंगलियों में जलन हो तो एक कटोरी में थोड़ा दूध लेकर उसमें उंगलियों को डुबोंकर एक दूसरे से धीरे धीरे रगड़ देने पर कैप्सेसिन घुल जायगा एवं उंगलियों की जलन कम हो जाएगी।
FAQ
Q. आप चिली बर्न का इलाज कैसे करते हैं?
Ans:- मिर्ची की जलन से प्रभावित जगह पर तेल, घी, दूध इन तीनों द्रव्य में से कोई एक लगाकर सूखे कपड़े से पोछ देने पर जलन कम होने लगती है।
Q. मिर्च में ऐसा क्या है जो जलता है?
Ans:- मिर्च में ‘कैप्सेसिन’ नामक एक जैविक रासायनिक पदार्थ मौजूद है जो तीखे स्वाद का मुख्य कारक है। यह कैप्सेसिन में कई अन्य प्रकार के जैविक रासायनिक पदार्थ मिल जाने पर कैपसेसिनोइड्स कहलाता है।
मिर्च के सेवन करने से यह जैविक रासायनिक पदार्थ जीभ में दर्द अनुभव करने वाली तंतुयों को उत्तेजित कर देता है जिससे हमारे मुँह में जलन का अनुभव होने लगता है।
Q. त्वचा पर गर्म मिर्च को क्या बेअसर करता है?
Ans:- तेल, घी, अल्कोहल, दूध में मौजूद केसिन, मिर्ची के तीखेपन को बेअसर करता है।
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